महाभारत के पश्चात
कैसे कलयुग की शुरुआत हुई। आज चारों तरफ पाप हो रहे है, हिंसा हो रही है,
स्त्रियॉं का अपमान हो रहा है, बच्चे माता-पिता को घर से
निकाल रहे है, यह सब कुछ कलयुग की देन है। जब इंसान धर्म तथा
कर्म के मार्ग से भटक कर अधर्म के मार्ग पर चल पड़ता है तो उसका दोष कलयुग पर मढ़
दिया जाता है। आखिर यह कलयुग क्या है? क्या चाहता है?
जितना अत्याचार पिछले
तीन युगों में नहीं हुआ उससे कई गुणा कलयुग में हो रहा है। आखिर क्यों? इसका जवाब छिपा है राजा परीक्षित द्वारा
कलयुग को धरती पर रहने की भूल। चलिये शास्त्रों द्वारा जानते है कलयुग की वह कथा
जो आज तक जारी है।
हिन्दू धर्म के अनुसार
चार युगों का वर्णन मिलता है। पहला युग था “सतयुग”। ब्रह्म वैवर्त पुराण के
अनुसार धरती पर पहले केवल आत्माओं का वास हुआ करता था। उस वक्त धरती पर जेने वाली
इन आत्माओं की उम्र लगभग 1 लाख साल हुआ करती थी। उनकी मृत्यु और जीवन उन्हीं के
हाथ में था।
ऐसा माना जाता है कि
सतयुग 1 करोड़ 72 लाख और 80 हज़ार साल तक चला। उस समय आत्माओं कि औसतन लंबाई 32 फूट
हुआ करती थी।
सत्यग की समाप्ति के पश्चात त्रेता युग का आगमन हुआ। इस युग में सकरतमकता में कुछ गिरावट आई। धरती पर आत्माएँ नहीं थी और देवताओं ने इंसानों के रूप में जन्म लिए। इस युग में भगवान विष्णु ने श्री राम का अवतार लिया। पद पुराण के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्री राम ने सरयू नदी में समाधि ली थी। और भगवान हनुमान आने वाले सभी युगों में जीवित रहने का आशीर्वाद ले चुके थे।
यह युग धरती पर 43 लाख 20 हज़ार साल तक चला। जिसमें
एक सामान्य इंसान 10,000 वर्ष
की आयु तक जीवित रह सकता था।
त्रेता युग के पश्चात द्वापर युग का आरंभ हुआ। इस युग में छल, क्रोध आदि व्यसनों में वृद्धि हुई। यह युग धरती पर 8 लाख 64 हज़ार साल तक चला।
इस युग में एक व्यक्ति औसतन 1000 वर्ष तक जीवित रह सकता था। ब्रह्म वेवर्त
पुराण के अनुसार इस युग में श्री हनुमान ने भीम को ज्ञान देते हुए कहा कि सत्यग
सबसे पवित्र था वहाँ धर्म सुरक्षित था, त्रेता युग में इसे
हानि हुई। जिसके कारण भगवान विष्णु ने श्री राम का अवतार लिया।
द्वापर युग में धर्म
पर वार हुआ और पाप बढ़ने लगे तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। उन्होने कहा कि
इसके बाद कलयुग का आरंभ होगा जिसमे धर्म पूर्णतय: समाप्त हो जाएगा और केवल पाप
होगा। एक बार फिर भगवान विष्णु कल्कि अवतार में जन्म लेंगे।
बहुत से धर्म ग्रन्थों, रामायण, और महाभारत
ने हमें अपने भूतकाल के बारे में बहुत कुछ बताया है।
शास्त्रों के अनुसार महाभारत युद्ध के पश्चात ही द्वापर युग के समाप्ति के दिन निकट आने लग गए थे। भगवान कृष्ण धरती पर अपनी भूमिका पूर्ण होने के पश्चात बैकुंठ धाम वापिस जा रहे थे। उनके बिना पांडव धरती पर क्या करते।
इसीलिए महाराज युधिष्ठिर ने अपना सारा राज भार अर्जुन के पौत्र तथा अभिमन्यु एवं अक्षरा के पुत्र परीक्षित को सौंप दिया। उन्होने ने परीक्षित को सर्व अधिकारों के साथ राजा घोषित कर दिया। इसके बाद पांचों पांडव द्रौपदी के साथ मोक्ष प्राप्ति के लिए हिमाल्य की ओर निकाल गए।
अब धरती पर राजा
परीक्षित का राज था। ना भगवान श्री कृष्ण थे और ना ही भीष्म तथा विदुर जैसे
विद्वान। फिर भी राजा परीक्षित ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का भरपूर प्रयास किया।
बताया जाता है कि पांडवों
के हिमाल्य गमन के बाद माता धरती और धर्म सरस्वती नदी के एक-एक छोर पर बैठे थे।
माँ धरती गाय के रूप में और धर्म बैल के रूप में बैठे बातें कर रहे थे। गाय माता
दुखी थी और निराशा से उनकी आँखों में आँसू आ गए। धर्म ने पूछा कि “अब तो महाभारत
समाप्त हो गई है चीख-पुकार हिंसा सब समाप्त हो गए है फिर भी आप दुखी क्यों है?”
धरती माता ने कहा कि “धर्म क्या तुम देख नहीं रहे कि तुम्हारे
चारों पैरों में से केवल एक पैर शेष रह गया है।“ पहले श्री कृष्ण के पैर मेरे ऊपर
पड़ते थे और मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानती थी। परंतु अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो
चुका है।
माता धरती और धर्म आगे बातें कर पाते तभी वहाँ असुर रूपी कलयुग पहुँच गया और किनारे बैठे गाय और बैल को सताना शुरू कर दिया।
उसी समय राजा परीक्षित का वहाँ से गुजरना हुआ। गाय और बैल को
वहां परेशान होते देख राजा ने कलयुग से कहा “दुष्ट! पापी! तू कौन है? इन गाय और बैल को क्यों सता रहा है? तेरा यह कृत्य पाप के समान है। तेरा यह पाप मृत्यु के योग्य है। यह कहकर
राजा परीक्षित ने कलयुग पर धनुष तान दिया।
राजा परीक्षित बैल
रूपी धर्म को पहचान चुके थे। तभी कलयुग राजा के चरणों में आ गया और अपना परिचय
देते हुए कहा “महाराज! मैं कलयुग हूँ।“ राजा ने धर्म से कहा सतुग में आपके चार चरण
थे त्रेता युग में तीन,
द्वापर युग में दो और आज कलयुग ने आपके एक और चरण को नुकसान पहुंचा दिया है। मैं
कलयुग को आपको और हानि नहीं पहुँचाने दूंगा। जैसे ही राजा परीक्षित ने कलयुग पर
वार करना चाहा वैसे ही उसने कहा, महाराज! एक बार आप मेरी बात
तो सुन लीजिये।“
राजा ने कहा अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि
अनेकों उपद्रों का कारण केवल तुम हो। मैं तुम्हें अपने राज्य में नहीं रहने दूँगा।
कलयुग ने कहा महाराज!
आपका राज तो पूरी पृथ्वी पर है। आप मुझे पृथ्वी से निकाल देंगे तो मैं कहाँ जाऊंगा? आप मुझे सामने नहीं देखना चाहते यह ठीक है।
लेकिन मुझे निकालने कि बजाय एक निश्चित स्थान दे दीजिये।
राजा ने सोच-विचार कर कहा
कि झूठ, मद्यपान, स्त्री, द्यूत और हिंसा में रहने का स्थान दे दिया।
कलयुग ने कहा कि इतना
स्थान मेरे लिए प्रयाप्त नहीं नहीं है तब राजा ने उसे एक और स्थान स्वर्ण यानि कि
सोने में दे दिया।
यह सुनते ही कलयुग
पाँच हिस्सों में बंट गया और राजा के द्वारा दिये गए एक-एक क्षेत्र में वह समाहित
हो गया। आखरी क्षेत्र स्वर्ण था। इस लिए कपटी कलयुग राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट
में अपना आखिरी स्थान बना लिया।
मार्कन्डेय पुराण के
अनुसार चूंकि राजा परीक्षित पूरी पृथ्वी के राजा थे इसलिए उनके मुकुट में रहते हुए
कलयुग ने धीरे-धीरे धरती पर अपना राज्य कायम कर लिया। यदि उस समय राजा परीक्षित
अपना स्वर्ण मुकुट त्याग देते तो शायद कलयुग के प्रभाव को सीमित किया जा सकता था।
कलयुग कि आयु 4 लाख 32
हज़ार लंबी है और अब तक उसका केवल एक चरण पूर्ण हुआ है। कलयुग के 50,000 पूर्ण होने के पश्चात गंगा सूख जाएगी और
बैकुंठ धाम वापिस लौट जाएगी। कलयुग के 10,000 वर्ष पूर्ण
होने के पश्चात धरती से देवताओं का पलायन आरंभ हो जाएगा। इंसान पूजा, व्रत, दान, पुण्य आदि सभी
उत्तम कर्म करना बंद कर देंगे। प्रकृति ने जो जो भी भी मनष्य को दिया है वह एक-एक
करके उनसे वापिस ले लिया जाएगा।
चारों ओर हिंसा का
वातावरण होगा और केवल पाप ही पाप दिखाई देगा। वर्तमान में देखा जाए तो शास्त्रों
में लिखी बातें सत्य हो रही है। पहले मनुष्य कि औसतन आयु 100 वर्ष की थी जो अब
घटकर 65 वर्ष ही रह गई है।
ब्रह्म वैवर्त पुराण
के अनुसार कलयुग में फिर से भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। पुराणों में
बताया गया है कि उनका जन्म विष्णु यशा नामक ब्राह्मण के घर में होगा। कल्कि अवतार
ही कलयुग का अंत करेंगे।
और फिर दोबारा से
सतयुग का प्रारम्भ होगा। माह सारा सार हमें शास्त्रों में लिखा हुआ मिलता है। वे
शस्त्र जो हमें लाखों-करोड़ों सालों से हमें धर्म की शिक्षा देते आए हैं।
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