गरुड़ पुराण- 14 महापाप जिससे आपको नरक में जाने से कोई नहीं रोक सकता

Garud Puran ke anusar paap

गरुड़ पुराण सनातन हिन्दू धर्म और वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित है तथा मृत्यु के पश्चात सद्गति प्रदान करने वाला माना गया है। इसीलिए हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है।


हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध 18 पुराणों में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। इसके अधिष्ठातृदेव स्वयं भगवान विष्णु हैं। गरुड़ पुराण में भक्ति, निष्कर्म कर्म के साथ साथ दान, तप, यज्ञ आदि कर्मों के अतिरिक्त आयुर्वेद आदि विषयों के वर्णन के साथ मृत जीव के अंतिम समय में किए जाने वाले कृत्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।


गरुड़ पुराणों के अनुसार हमारे अच्छे-बूरे कर्मों का फल हमें इस जीवन में तो मिलता ही है परंतु मृत्यु के बाद भी अच्छे-बूरे कर्मों का फल मिलता है। इसीलिए इस ज्ञान को जानने के लिए घर के किसी सदस्य के मरने के बाद गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है।


गरुड़ पुराण के दो भाग हैं। पहले भाग में विष्णु भक्ति और उनकी उपासना की विधियाँ लिखित है। दूसरे भाग में प्रेत कल्प का विस्तार वर्णन करते हुए विभिन्न नरकों में जीव के पड़ने का वृतांत है। इसमें मृत्यु के बाद मनुष्य की गति क्या होती है, उसके अच्छे-बूरे कर्मों के अनुसार उसे किस प्रकार की योनियों में जन्म मिलता है, श्राद्ध और पितर कर्म किस तरह करने चाहिए, प्रेत योनि से कैसे मुक्ति पाई जा सकती है तथा नरकों के दुख से कैसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।


कथा के अनुसार महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान श्री विष्णु का वाहन कहा जाता है। एक बार गरुड़ ने मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, यम-लोक यात्रा, कर्मों के अनुसार प्राप्त होने वाले नरकों, योनियों और पापियों की दुर्गति से संबन्धित अनेक प्रश्न पूछे। उस समय भगवान विष्णु ने गरुड़ की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उपदेश दिया था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत वर्णन मिलता है। इसीलिए भगवान विष्णु द्वारा प्रतिपादित यह पुराण मुख्यत: “विष्णु पुराण” है।


Garud Puran

आइये जानते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार किन-किन महापापों को करने से आप नरक को प्राप्त होते हैं: 

  • किसी भी महिला की हत्या करना, उसे यातनाएं देता है, जो मूक्दर्शक की तरह किसी महिला की इज्जत लूटते हुए देखता है, या किसी गर्भवती स्त्री को मारना-पीटना आदि आपको नरक में पहुंचाता है।
  • किसी ज़रूरतमंद इंसान को जानबूझकर भोजन या पानी ना देना, उसकी सहायता ना करना, अपने दरवाजे पर आए हुए जरूरतमंद को बिना भोजन-पानी के वापिस भेज देना बहुत बड़ा पाप माना गया है।
  • गरुड़ पुराण के अनुसार ब्राह्मण या पंडित का अनादर करना, उनको मारना, पवित्र कसमों अथवा वादों को तोड़ना, या किसी भ्रूण की हत्या करना आदि आपको नरक में भेजने के लिए काफी है।
  • जो अपनी संतुष्टि के लिए दूसरे जीवों की हत्या करते हैं या व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किसी जानवर की बलि देते है, उसे विभिन्न प्रकार के नरकों का सामना करना पड़ता है।
  • किसी विधवा की पवित्रता को नष्ट करना तथा उसकी मजबूरी का लाभ उठाना या किसी मर्द से शादी की सीमा को लांघ कर संबंध बनाना पाप माना गया है। ऐसा करने वालों को नरक प्राप्त होता है।
  • जो पवित्र पानी या नदी में, बगीचे में, पवित्र स्थान पर, गौशाला में मलमूत्र का त्याग करता है उसे स्वर्ग में नहीं बल्कि घोर नरक में स्थान मिलता है।
  • झूठी गवाही देना अथवा किसी निर्दोष को फसाने के लिए झूठ बोलना आदि को नरक प्राप्त होता है।
  • अपनी पति या पत्नी को छोड़कर किसी ओर पर नज़र रखना या उससे संबंध बनाना आपको नरक के द्वार पर पहुंचाता है।
  • जो किसी की मदद के बजाय उससे कुछ छीन लेता है, किसी के आश्रय को नष्ट करना, जो अपनी भलाई के लिए दूसरे का जीवन छीन लेता है वो मरने के बाद सीधा नरक में जाता है।
  • जो किसी भी धर्म के पवित्र स्थलों, ग्रन्थों, पुराणों या वेदों की बेइज्ज़ती करता है, उनके अस्तित्व पर सवाल उठाता है, उन्हे गाली देता है या फिर उनके धार्मिक अनुयाइयों का अपमान करता है, यह सीधा नरक में जाने के ही संकेत हैं।
  • जो व्यक्ति भगवान का सम्मान नहीं करता और जो देवी-देवताओं की पूजा नहीं करता वो भी नरक में ही जाता है।
  • जो किसी महिला की इज्ज़त लूटने के इरादे से उसे अपने आवास पर आश्रय देता है और उसकी आड़ में वो अपराध करता है, वह सबसे बड़ा पापी होता है।
  • पत्नी को पीटना उस पर शक करना, अपने बच्चों के सामने उनकी माँ को मारना-पीटना, अपने पूर्वजों की अनदेखी करना, उनकी सेवा न करना ,अपने बच्चों पर जुल्म करना इंसान को नरक की ओर ले जाता है।
  • जो गरीब असहाय लोगों की मदद नहीं करता और कमज़ोरों को सज़ा देता है, सताता है, वो सीधा नरक में जाता है।

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