World’s Most Mysterious Shiv Temple | जिसे देख वैज्ञानिक भी हैरान है

Elora Kaliasha mandir

दुनिया में कई ऐसे मंदिर है जिन्हें अपने इतिहास तथा शिल्प कला के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लेकिन भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जो अपनी खूबसुरती के पीछे कई राज़ छुपाए हुए कई सैकड़ों सालों से खड़ा है। यह दुनिया का सबसे रहस्यमयी शिव मंदिर है जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं में स्थित है। इस मंदिर को कृष्णा प्रथम के शासन काल में बनाया गया था। इस कैलाश मंदिर में विशाल शिवलिंग स्थित है और इस मंदिर के निर्माण में लगभग 150 वर्ष का समय लगा था। तकरीबन 7000 मजदूरों ने इसका निर्माण किया था।


इस मंदिर में कभी पूजा नहीं होती है। इस मंदिर में अंतिम बार कब पूजा हुई इसका प्रमाण आज तक नहीं मिल पाया है। इस मंदिर के रहस्य के सामने विज्ञान भी अपने घुटने टेक चुका है। यह पूर्णतय: सत्य है कि अगर आपको शिव को पाना है तो आपको शिव में ही लीन होना होगा। आखिर क्या वजह है कि प्राचीन मंदिरों के रहस्यों को हमारा आज का उन्नत विज्ञान भी नहीं समझ पाई। एक ऐसा ही रहस्यमयी शिव कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद की एलोरा गुफाओं में स्थित है।


इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का स्वर्ग में निर्माण करके इसको पृथ्वी पर स्थापित किया गया था। आइये जानते है ऐसा क्या खास है इस शिव मंदिर में।


Kailash temple

इस मंदिर को अन्य मंदिरों की तरह पत्थर जोड़ कर नहीं बल्कि केवल एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है। यह दुनिया का सबसे प्राचीन बहुमंजिला और एकमात्र ऐसे मंदिर है जिसे एक पहाड़ को काटकर और वो भी ऊपर से नीचे की तरफ काटकर बनाया गया है।


Experts के मुताबिक जब उन्होने इस मंदिर का गहन अध्ययन किया तो उन्हें ये पता लगा कि शुरुआत में यह मंदिर एक तरह के सफ़ेद प्लास्टर से ढका हुआ था जो बिलकुल कैलाश पर्वत की तरह प्रतीत होता था। जिस कारण इस मंदिर को कैलाश मंदिर कहते है। कई वैज्ञानिक कहते है कि इस मंदिर को आज से करीब हजारों वर्ष पूर्व बनाया गया था। इस मंदिर को केवल एक पहाड़ को काटकर बनाने के कारण इसको बनने का सटीक अनुमान नहीं लगा पाया है। क्योंकि पहाड़ की उम्र और मंदिर की उम्र में अंतर होगा। दूसरे शब्दों में पहाड़ कई लाख साल पुराना हो सकता है और उसे काटकर मंदिर का निर्माण कई हज़ार साल पश्चात किया गया होगा।


ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के नीचे एक गुप्त शहर बसा हुआ है। Geology और Archaeology डिपार्टमेंट के अनुसार यह कोई सामान्य मंदिर नहीं है। यहाँ एक ऐसी सुरंग है जो इसे Underground शहर में ले जाती है। दुनिया में अगर कोई भी पहाड़ या पत्थर काटकर कोई इमारत या मंदिर बनाता है तो उसे सामने की तरफ से काट कर बनाया जाता है। लेकिन इस मंदिर को बनाने के लिए इसे ऊपर से नीचे की तरफ काटकर क्यों बनाया गया है इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है।


मंदिर को ऊपर से नीचे काटने के पश्चात मंदिर में बनी हुई मूर्तियों की की गई अद्भुत शिल्पकारी और मंदिर में बने भवन आदि को बनाने में कितना समय लगा होगा। यह सब बातें मंदिर को और रहस्यमयी बनाती है। क्योंकि आज से कई हजारों वर्ष पहले आज की तरह आधुनिक उपकरण नहीं हुआ करते थे तो केवल हाथों से ही इस तरह की भव्य इमारत को कैसे बनाया गया होगा। यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है। 


सबसे आश्चर्य कि बात यह है कि इस मंदिर में Rain Water Harvesting System यानि वर्षा के जल को एकत्रित करके उसको प्रयोग में लाने की विधि का गुप्त सिस्टम का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में बहुत सी ऐसी गुप्त तथा जटिल गुफाएँ हैं जिसमें आम इंसान जा भी नहीं सकता।


Kailash mandir

यह मंदिर बहुमंजिला है, इसी कारण इस मंदिर में एक इमारत से दूसरी इमारत में जाने के लिए पुल बने हुए है और विशालकाय बाल्कनी भी दी है। इसके अलावा इसमें सिद्धियों का ऐसा जटिल जाल है जिसने इस रहस्यमयी शिव कैलाश मंदिर को और भी रहस्यमयी बना दिया है। ऐसी जटिल संरचना जिसमें पहाड़ को ऊपर से नीचे की तरफ काटते हुए और खोखला करते हुए कुल भवन, सीढ़ियाँ, खंभों, मूर्तियों आदि को पहले के इंसान ने भी बिना किसी उपकरण के कैसे बनाया होगा।


मंदिर की मजबूती के बारे में कहें तो मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1682 ई में इस मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था और अपने हजारों सैनिकों को मंदिर को तोड़ने के लिए काम पर लगा दिया था। वे कई साल तक मंदिर को तोड़ने का प्रयास करते रहे लेकिन मंदिर के बहुत छोटे से हिस्से को ही नुकसान पहुंचा पाए।


इतने प्रयासों के बाद औरंगजेब ने हार मान ली और इस मंदिर को तोड़ने का विचार बादल दिया।


Kailash mandir caves

वैज्ञानिकों के अनुसार पहाड़ काटने की एक Special तकनीक का प्रयोग किया जाता है। लेकिन एओरा के इस मंदिर में इस तकनीक के विपरीत इससे लाख गुणा कठिन तकनीक का प्रयोग किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 10 पीढ़ियों ने काम किया होगा तथा लगभग 7000 मजदूरों ने इस मंदिर को बनाने में अपना योगदान दिया होगा।


इसके अलावा ये मंदिर एलोरा की सभी गुफाओं से भी पुराना है। कैलाश मंदिर के बाद ही एलोरा की गुफाओं तथा अन्य इमारतों की स्थापना हुई। कैलाश मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जो आकाश से भी डिहाइ देता है। इस मंदिर के आस-पास 34 अन्य मंदिर भी है लेकिन वे सभी आकाश से दिखाई नहीं देते।


Kailash mandir ki moortiyan

आज के समय में इस तरह का मंदिर बनाने के लिए बहुत से सैकड़ों Drawings, Computer Software, Miniature Models बनाकर उनकी रिसर्च करने की आवश्यकता होगी। लेकिन उस जमाने में इस काम को कैसे अंजाम दिया गया होगा इसका जवाब आज तक किसी को नहीं पता चला।


आश्चर्य की बात यह भी है कि आज की आधुनिक तकनीक और उपकरण की मदद से भी इस मंदिर जैसा दूसरा मंदिर बनाना असंभव जैसा ही है।

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