चमत्कारी हनुमान मंदिर जहां डर कर बेहोश हो गया था औरंगजेब

Mandir se dar kar behosh hua Aurangzeb

प्राचीन भारत का वह मंदिर जिसको देखते ही बेहोश हो गया था मुगल शासक औरंगजेब। आखिर भारत में किस जगह है ये मंदिर, क्या हुआ था औरंगजेब के साथ उस मंदिर में? आइये जानते हैं।


मुगल शासक औरंगजेब को अपनी कट्टर छवि के लिए जाना जाता है, परंतु उसके जीवन में कई ऐसे मौके भी आए थे जब उसे अपनी धार्मिक कट्टरता को त्यागना पड़ा था। इस मंदिर का नाम है कर्मनघाट मंदिर। यह मंदिर हैदराबाद में स्थित है और हनुमान जी के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।


आज से करीब एक हज़ार वर्ष पूर्व काक्तीय वंश के राजा रुद्र द्वितीय जंगल में शिकार करने के लिए गए। वापिस आते-आते उन्हें रात हो गई। बहुत ज़्यादा थकान होने के कारण उन्होने उसी जंगल में विश्राम करने का उचित निर्णय लिया और एक पेड़ के नीचे सो गए।


तभी वहाँ आधी रात में कहीं से भगवान राम का नाम उन्हें सुनाई दिया। राम नाम की इतनी ज़ोर से आवाज़ आ रही थी कि राजा कि नींद खुल पड़ी और उन्होने आस-पास- देखना चाहा कि आखिर यह आवाज़ कहाँ से आ रही है। वह इधर-उधर देखने लगे पर उन्हे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस राम नाम की आवाज़ आ रही थी। वह अंदर से थोड़ा भयभीत हो गया क्योंकि इतनी आधी रात में कौन सा भक्त है जो राम नाम का जाप कर रहा है?


कुछ दूर चलते हुए खोज में उन्होनें देखा एक मूर्ति जो पास में थी वहीं से राम नाम के जाप की आवाज़ सुनाई दे रही थी। वह मूर्ति हनुमान जी की थी। उस मूर्ति में अलग तरह का आकर्षण था। वह कोई साधारण मूर्ति नहीं लग रही थी। उस मूर्ति को देखकर राजा आश्चर्यचकित हो गया कि आखिर कैसे एक मूर्ति भगवान राम का नाम जप सकती है। राजा यह सोचते-सोचते हनुमान जी की मूर्ति को देखने लगा।


थोड़ी देर देखते-देखते राजा को लगा कि वह मूर्ति नहीं बल्कि स्वयं हनुमान जी भगवान श्री राम के नाम का जप कर रहे हैं। यह चमत्कार देख राजा तुरंत मूर्ति के चरणों में पड़ गया और प्रणाम करने लगा। इसके बाद फिर कुछ देर वहाँ ठहर कर राजा सोने चल दिया।


आधी रात बीत जाने के बाद राजा को एक सपना आया। राजा ने सपने में देखा कि स्वयं हनुमान जी उसे कह रहे है कि ठीक इसी जगह पर हनुमान मंदिर का निर्माण करना चाहिए। इस सपने को देखने के बाद राजा तुरंत अपने राज्य की ओर रवाना हो गया। अपने राज्य पहुँचते ही अपने राजमहल में राजा ने सभी मंत्रियों और अपने सलाहकारों को अपने सपने के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। सलाहकारों ने यह बात राजा के मूंह से सुनी तो उन्होने से जल्द से जल्द मंदिर को बनाने की सलाह राजा को दे डाली। साथ में ऐसा भी कहा कि मदिर के बनने से आपके राज्य को उन्नति होगी साथ ही आपका कीर्तिवर्धन होगा।


Karmanghat Hanuman Temple

कुछ समय बाद उस जंगल में जहां राम नाम कि आवाज़ आ रही थी वहाँ पर मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हो गया। मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के पश्चात इस मंदिर को “ध्यानजनी स्वामी” का नाम दिया गया।


कुछ समय पश्चात इस मंदिर की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई और लोग यहाँ दर्शन के लिए आने लगे।


लगभग 400 वर्षों के बाद मुग़ल बादशाह औरंगजेब का ध्यान इस मंदिर की ओर पड़ा जोकि बहुत ही दुष्ट, क्रूर, और लालची इंसान था। जिसका केवल यही मकसद था कि सभी धर्मों को खत्म करके हर जगह इस्लाम धर्म को बढ़ावा देना। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि औरंगजेब तथा मुग़ल काल में लगभग साठ हज़ार (60,000) से भी ज़्यादा मंदिर ध्वस्त किए गए थे। जिसमें 15 मुख्य: मंदिर तोड़े गए थे। जिनमे काशी विश्वनाथ, भगवान सोमनाथ मंदिर एवं केशव देव मंदिर भी शामिल है।


औरंगजेब ने सन 1687 में गोलकुंडा के किले पर अपना कब्जा जमा लिया। कब्जा जमाने के बाद उसने वहाँ के हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करने का प्रयास आरंभ कर दिया। जिसमे वह हैदराबाद के बाहरी इलाके में बसे एक हनुमान मंदिर में जा पहुंचा।


यह वही ध्यानजनी स्वामी जी का मंदिर था। उसने अपने सेनापति से इस मंदिर को गिराने का आदेश दे दिया। सेनापति इस मंदिर को तोड़ने के लिए अपनी सेना के साथ आगे बढ्ने लगा।


जैसे ही एक सैनिक ने अपने हथियार से उस मंदिर की दीवार पर प्रहार करने का प्रयास किया तो वह वहीं खड़ा का खड़ा रह गया, मानो जैसे वो पत्थर का बन गया हो। इसके बाद एक के बाद एक सभी सैनिकों का हाल यही होने लगा। सभी मूर्तियों की तरह ही खड़े रह गए। यह देखकर सेनापति घबरा गया और अपनी बची हुई सेना के साथ वापिस अपने राजा के पास चला गया।


वहाँ पहुँचकर सेनापति ने सारी बात औरंगजेब को बताई और मंदिर को न तोड़ने की सलाह दी। इस बात को सुनते ही औरंगजेब गुस्से से तिलमिला उठा। उसने सभी सेना की कमान अपने हाथ में ले ली और खुद मंदिर को तोड़ने के लिए निकल पड़ा। सभी सैनिक उस मंदिर में घटित हुई घटना को जानते थे इसीलिए वे उस मंदिर में जाने के लिए घबरा रहे थे।


मंदिर में पहुँचकर औरंगजेब ने मंदिर के अंदर सभी लोगों को बाहर आने की चेतावनी दी। इसके बाद वह खुद हाथ में हथियार लेकर मंदिर की ओर चलने लगा। जैसे ही औरंजेब ने हथियार लेकर मंदिर की दीवार को तोड़ने के लिए अपना हाथ उठाया, उसे अचानक मंदिर के अंदर से एक भीषण गर्जन सुनाई देने लगी। वह गर्जन इतनी भयानक और तेज थी की कान के पर्दों को चीरते हुए निकल गई। जिसको सुनकर औरंगजेब मूर्ति की तरह खड़ा रह गया। उसने डर के मारे अपने दोनों कान बंद कर लिए परंतु आवाज़ और तेज होने लगी।


औरंगजेब घबराने लगा, तभी उसे मंदिर से एक आवाज़ सुनाई दी “अगर मंदिर तोड़ना चाहते हो राजन, तो कर मन घट!” यानि कि अगर मंदिर को तोड़ना चाहते हो तो राजा पहले अपना दिल मजबूत करो।


पहले से ही निशब्द और डरा हुआ औरंगजेब ये सुनते ही बेहोश हो गया। वहीं मंदिर के बाहर खड़े पुजारी समझ गए थे कि यह आवाज़ हनुमान जी की है। सभी ने हनुमान जी को दंडवत प्रणाम किया।


उधर बेहोश पड़े औरंगजेब को उसके सैनिक उठाकर वापिस उसके किले पर ले गए।


Hanuman Mandir

इसके बाद इस मंदिर का नाम हनुमान जी के कहे शब्दों पर पड़ा। आज यह मंदिर कर्मन घाट मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को लेकर लोगों में बड़ी ही अपार श्रद्धा है। ऐसी मान्यता है कि संतानहीन लोगों को यहाँ पूजा-अर्चना करने से संतान की प्राप्ति होती है और रोगी यहाँ निरोगी हो जाता है। जो भी भक्त यहाँ पर सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करता है और अपनी इच्छा उनके सामने रखता है वह अवश्य ही पूरी होती है।

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