किसने और क्यों तोड़ा था रामसेतु? Who Broke Ramsetu Bridge and Why?

Who destroy ramsetu bridge

मनुष्यों का ये स्वभाव होता है कि वे अपनी चीजों का बहुत ख्याल रखते हैं। अगर वो चीज़ उनके द्वारा बनाई गई हो तो लगाव और भी बढ़ जाता है। लेकिन इंसान और भगवान में यही मूल अंतर होता है। आज हम बात कर रहे हैं प्रभु श्री राम की।


भगवान श्री राम को कौन नहीं जानता। वे भगवान विष्णु के अवतार थे। हम सभी को मालूम है कि भगवान श्री राम ने रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी। भगवान श्री राम ने अपने भक्त की भलाई के लिए अपने द्वारा बनाई हुई चीज़ को अपने ही हाथों से नष्ट कर दिया। क्यों और कैसे आइये जानते है इस कथा में।


रामायण के अनुसार जब रावण माता सीता का हरण कर उन्हें वायु मार्ग से अपने पुष्पक विमान में उठाकर अपने साथ लंका ले गया था। जटायु नाम के गिद्द ने माता सीता को छुड़ाने के बहुत प्रयास किए, परंतु रावण ने जटायु का वध कर दिया। अधमरी हालत में जब श्री राम को जटायु ने बताया कि रावण माता सीता को उठाकर लंका की दिशा की ओर गया है तो भगवान श्री राम ने क्रोधित होकर लंका पर आक्रमण करने का निर्णय लिया।


श्री वाल्मीकि जी द्वारा लिखित रामायण में बताया गया है कि जब भगवान श्री राम अपनी सेना सहित लंका जाकर युद्ध करना चाहते थे, उस समय मार्ग में समुन्द्र होने के कारण ये संभव नहीं हो पा रहा था। उस समय समुद्र देव की कृपा से वानरों और भालुओं की सेना ने रामसेतु का निर्माण किया था। इसका निर्माण मुख्य रूप से नल और नील नाम के वानरों ने किया था।


Nal Neel


नल शिल्प कला जानते थे क्योंकि वे देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा जी के पुत्र थे। अपनी इसी कला से उन्होने समुद्र पर सेतु का निर्माण किया। आपको जानकार हैरानी होगी कि रामसेतु पुल का निर्माण केवल 5 दिनों में हुआ। पहले दिन वानरों कि सेना ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन कर पुल का निर्माण किया था। इस तरह कुल 100 योजन लंबाई का पुल स्मदरा पर बनाया गया। उस समय यह पुल 10 योजन यानि कि 80 मील चौड़ा था। एक योजन लगभग 8 मील का होता है।


यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि जब श्री राम युद्ध के पश्चात लंकापति विभीषण से मिलने गए थे तो वापसी में स्वयं श्री राम ने ही रामसेतु एक हिस्सा तोड़ दिया था। यह बात सच है।


पद्म पुराण के सृष्टि खंड में इस बात का प्रमाण आपको मिल जाएगा। पद्म पुराण के मुताबिक श्री राम रावण का वध कर माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौट आए तब उनका राज्याभिषेक हुआ।


एक दिन उनके मन में विभीषण से मिलने का विचार आया। उन्होने सोचा कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण लंका में किस तरह का शासन कर रहे हैं। क्या उन्हे कोई परेशानी तो नहीं? ऐसा विचार मन में आने के बाद जब श्री राम लंका जाने की बात सोच रहे थे उसी समय वहाँ भरत भी आ गए। भरत के पूछने पर श्री राम ने उन्हे यह बात बताई। भरत भी उनके साथ जाने को तैयार हो गए।


अयोध्या की रक्षा का भार लक्ष्मण को सौंप कर श्री राम और भरत पुष्पक विमान में सवार होकर लंका की ओर चल पड़े। पुष्पक विमान से जाते समय रास्ते में किष्किंधा नगरी आती है। श्री राम और भरत थोड़ी वहाँ ठहरे। वहाँ वे सुग्रीव व अन्य दूसरे वानरों से भी मिले। जब सुग्रीव को पता चला कि श्री राम विभीषण से मिलने लंका जा रहे हैं तो वो भी उनके साथ चले जाते हैं।


लंका जाते हुए श्री राम ने भरत को रामसेतु पुल भी दिखाया।


उधर जब विभीषण को पता चलता है कि श्री राम, भरत और सुग्रीव लंका आ रहे हैं तो वे पूरे नगर को सजाने का आदेश देते हैं। विभीषण सभी से मिलकर बहुत प्रसन्न होते हैं। श्री राम तीन दिन तक लंका में ठहरते हैं और विभीषण को धर्म-अधर्म का उपदेश देते हैं। और कहते हैं आप हमेशा धर्म-पूर्वक इस नगर पर राज करना।


तीन दिन पश्चात जब श्री राम अयोध्या की ओर प्रस्थान करते हैं तो विभीषण उनसे कहते हैं कि “हे प्रभु! जैसा अपने कहा ठीक उसी तरह मैं धर्मपूर्वक इस राज्य का ख्याल रखूँगा।“


लेकिन इस पुल मार्ग (रामसेतु) से जब मानव आकर मुझ पर आक्रमण करेंगे तो मुझे क्या करना चाहिए?


Raamsetu Bridge


विभीषण के कहने पर श्री राम ने अपने बाणों से राम सेतु के तीन टुकड़े कर दिये। फिर तीन भाग करके बीच का हिस्सा भी अपने बाणों से नष्ट कर दिया। इस तरह भगवान श्री राम ने अपने भक्त की दुविधा को देखते हुए अपने ही द्वारा निर्मित रामसेतु पुल को नष्ट कर दिया।

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