जिस व्यक्ति ने पृथ्वी पर जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित
है। अपने जन्म के दौरान मनुष्य बहुत से पाप और पुण्य करता है जिसका फल उसे इस जन्म
में और जन्म के पश्चात भी भोगना पड़ता है। जिसके पाप ज़्यादा होंगे उसे उतने ही
ज़्यादा कष्ट झेलने पड़ेंगे।
गरुड़ पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित
है। गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक पुराणों में से एक है और यह अन्य
18 पुराणों में से एक है। गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन को लेकर बहुत सी बातें
बताई गई है।
आज हम आपको बताएँगे कि गरुड़ पुराण के अनुसार आपके पाप
कर्मों के अनुसार आपको अगले जन्म में कौन सी योनि प्राप्त होगी। यह जानने से पहले
हमें यह जानना होगा कि क्या सच में पुनर्जन्म होता है?
इसका उत्तर है, हाँ! पुनर्जन्म होता है। उदाहरण के लिए जब कोई भी मनुष्य बालक पैदा होता है तो पैदा होने पर ही कई बालक किसी ना किसी दोष से पीड़ित होते है। जैसे कि जन्म से ही अंधापन, विकलांग और किन्नर पैदा होते है।
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण तो ज़रूर होता है। भविष्य पुराण और
गरुड़ पुराण समेत कई धार्मिक पुराणों के अनुसार पुनर्जन्म एक सत्य घटना है।
ऐसा भी कहा जाता है कि जब शिशु अपनी माँ के गर्भ में होता
है तो उसे अपने पिछले जन्म का सब कुछ पता होता है। उसे ये भी पता होता है कि पिछले
जन्म में उसकी मृत्यु कैसे हुई थी। जब वह शिशु अपनी माँ के गर्भ से बाहर आता है और
प्रकृति की हवा उसे लगती है तो वह सब कुछ भूल जाता है।
धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार यही प्रकर्ति का नियम है। बल्कि
कई लोग अपने पिछले जन्म का याद होने का भी दावा करते है।
धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार आपको धरती पर तब तक जन्म लेना
होता है जब तक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। जब तक आप कर्म-चक्र से बाहर नहीं
निकलते।
एक बात और दिमाग में आती है कि जब हम अपने बुरे कर्मों की
सज़ा नरक में भोग लेते हैं तो पुनर्जन्म में हमें इसकी सज़ा क्यों मिलती है? इसका उल्लेख गरुड़ पुराण में भी मिलता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार कई आत्माओं के कर्म इतने ज़्यादा बुरे
होते हैं कि उन्हें नर्क में भी यातनाएँ भोगनी पड़ती है, लेकिन धरती पर उस जीव आत्मा को मानसिक और शारीरिक पीड़ाएँ भी उठानी पड़ती
है। जैसे की किसी भी महिला के साथ दुष्कर्म करने वाली पापी आत्मा अगले जन्म में किन्नर
के रूप में तथा शारीरिक पीड़ा के साथ जन्म लेती है। इसे हमारे ग्रन्थों में कर्म-फल
का सिद्धान्त कहा गया है।
इस कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार यदि पाप बड़ा है तो सज़ा लंबी
मिलेगी और अत्यंत दुखदाई भी होगी। यदि आपका पाप कम है तो सज़ा भी कम होगी।
चलिये आपको बताएं की योनियों के बारे में गरुड़ पुराण क्या कहता है?
गरुड़ पुराण इस बारे में कहता है कि अपने वफादार मित्र का
अपमान करने वाला गधे की योनि भोगता है। गधे का सामान्य जीवन काल 25-30 वर्ष के बीच
होता है।
अगर अपने अपने साथी को इतना ज़्यादा सताया है कि उसे सारा
जीवन पीड़ा में बीतता है। तो आप समझ लीजिये कि 25 से 30 साल आप अपने अगले जन्म में
अपने मालिक का अत्याचार सहेंगे। अगर आपका पाप क्षमा योग्य होगा तो कर्म-फल
सिद्धान्त के अनुसार आप जल्द ही गधे की योनि से जल्द ही मुक्त हो जाएंगे।
माता-पिता को कष्ट देने वाली संतान किस योनि में जाती है?
अपने माता पिता को कष्ट देने वाली संतान कछुए की योनि में
जन्म लेती है और कछुआ 10, 20 या 50 साल तक नहीं जीता बल्कि उसका जीवन
काल 100 से 300 वर्षों तक का हो सकता है। यानि की इस अपराध की सज़ा बहुत लंबी है। क्योंकि
माता पिता को स्वयं भगवान श्री राम ने सर्वप्रथम पूजे जाने वाले देवताओं का दर्जा
दिया है।
बंदर की योनि में वह आत्मा जन्म लेती है जो अपने मालिक का विश्वसनीय होकर अपने मालिक का विश्वास तोड़ देता है। ऐसी पापी जीव आत्मा बंदर के शरीर को प्राप्त करती है। जिसका सामान्य जीवन काल 20 वर्ष का होता है।
विश्वासघातियों को कीड़े-मकोड़े की योनि में भी धरती पर जन्म
लेना होता है।
कीड़े-मकोड़े की योनियों में वह व्यक्ति जन्म लेता है जिसने
छल से किसी और का धन, सोने-जवाहरात हासिल किया हो और उसे वापिस
ना करे। ऐसे विश्वासघाती भी कीड़े-मकोड़े की योनि में पैदा होते हैं जो अपनों के साथ
छल करके उन्हे भ्रमित करे और उनसे लाभ लेने की कोशिश करे।
ऐसी पापी जीव आत्मा मछ्ली रूप में जन्म लेती है। मछ्ली का
सामान्य जीवन 20 साल का होता है। परंतु आपका यह जीवन काल आपके कर्म-फल सुद्धान्त के नियम पर निर्भर
करता है।
कौआ की योनि में वह व्यक्ति जन्म लेता है जो घर आए ब्राह्मण
का निरादर करे और जो पितर और देताओं का आदर-सम्मान ना करे। वह अपने अगले जन्म में
10 से 15 वर्ष तक कौआ के रूप में बदसूरत और प्रतिभाहीन होकर अपना जीवन व्यतीत करता
है। ना उन्हे किसी का स्नेह मिलता है ना किसी की प्रशंसा। उन्हे धिक्कारा जाता है
और उनसे घृणा की जाती है।
किसी की मदद और एहसानों को ना मानने वाला बिच्छू की योनि
में जन्म लेता है। दूसरों की निंदा करने वाला और उसके साथ दुर्व्यवहार करने वाला
तथा अपवित्र रहने वाला भी कीड़े-मकोड़े की योनि में जन्म लेता है। क्योंकि कीड़े की
योनि ऐसी योनि है कि आप कितने भी प्रतिभाशाली क्यों ना हो, आप में कितना भी हुनर क्यों ना हो, लेकिन आपको
सम्मान कभी नहीं मिलता। आपको पैरों के नीचे कुचला जाता है।
जैसा कि अपने पिछले जन्म में किसी व्यक्ति को अपने
दुर्व्यवहार से अपने पैरों के निचे कुचला था उसी प्रकार पुनर्जन्म में आप किसी के
पैरों के नीचे कुचले जाओगे।
गरुड़ पुराण के अनुसार दूसरों के बारे में अच्छा सोचने वाला
और धर्म के मार्ग पर चलने वाला धार्मिक ग्रन्थों में विश्वास रखने वाला, पशुओं से प्रेम रखने वाला, माता-पिता की सेवा करने
वाला, गुरु के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने वाली ऐसी
पवित्र आत्मा स्वर्ग में जाती है और अपने लिए मोक्ष के दरवाजे खोल लेती है।
आपको इन योनियों से डरने की आवश्यकता नहीं है। आपको केवल इस मनुष्य जीवन में किसी गरीब व्यक्ति को ठेस नहीं पहुंचानी, दूसरों को अपमानित करना तथा बुजुर्ग व्यक्तियों की हर हालत में मदद करना, किसी बेसहारे की मदद करने से आपको इन योनियों से होकर नहीं गुजरना होगा। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको परमात्मा की शरण ज़रूर मिलेगी।
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