रामायण के बाद कहाँ गए हनुमान जी | Is Lord Hanuman Still Alive?

Is Lord Hanuman Still Alive

महा शक्तिशाली, महाज्ञानी, तथा भक्तों में सबसे प्रिय महाबली हनुमान जी इतिहास के वो पात्र हैं जिनकी भक्ति और निष्ठा की मिसालें दी जाती है।

भगवान शिव के वो अंश जिनके समान ना तो कोई इतिहास में था और ना ही कभी भविष्य में होगा। इनकी समानता ना तो कभी इतिहास में की जा सकी और ना ही कभी भविष्य में की जा सकेगी। आ हम आपको कुछ ऐसी बातें और सबूत दिखाएंगे जो यह साबित करते हैं कि भगवान शिव के 11 वें अवतार श्री राम के परम भक्त, अंजनीपुत्र महाबली हनुमान आज भी जीवित हैं और समय समय पर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

हनुमान जी की शक्ति अपार है। इनकी शक्ति का अनुमान आज तक कोई नहीं लगा पाया है। रामायण काल में भी हनुमान जी ने अपनी शक्ति को उच्चतम स्तर तक पहुंचाया ही नहीं। क्योंकि यदि उन्होने ऐसा किया होता तो लंका का विनाश वे कुछ ही क्षण में कर देते।

हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है और वे कलयुग के अंत तक पृथ्वी लोक पर निवास करेंगे। हनुमान जी के जीवित होने के सबूत दिखने से पहले हम आपको बताएँगे कि रामायण काल के बाद भगवान हनुमान जी कहाँ गए?

वाल्मीकि रामायण में भी इस बात का उल्लेख है कि भगवान श्री राम के धरती छोड़ने तक हनुमान जी अयोध्या में ही उनकी सेवा में लीन रहे। भगवान श्री राम के धरती से जाने के बाद हनुमान जी ने वन को ही अपना निवास स्थान बना लिया। जहां वे निरंतर राम नाम का जाप करते थे।

उसी के बाद त्रेता युग का अंत हुआ और द्वापर युग का प्रारम्भ।

द्वापर युग में भी भगवान हनुमान का ज़िक्र मिलता है।

पहली बार जब भीम वनवास पर थे। एक दिन जंगल में उन्हें एक बुजुर्ग वानर मिला जो उनके मार्ग में पड़े थे। उन्होने वानर से कहा कि मुझे मार्ग दो।

Hanuman ji vs Bheem

तब उस वानर ने कहा कि मैं बहुत बूढ़ा हो चुका हूँ। अब इस आयु में मुझमे इतनी शक्ति कहाँ कि मैं अपने आप यहाँ से उठ सकूँ। तुम ही मुझे मार्ग से हटा दो।

भीम को अपनी शक्ति बल का घमंड था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर भीम ने जब वानर की पुंछ को उठाने का प्रयास किया तो वे उस वानर की पुंछ तक ना हिला सका। तब भीम का घमंड चकनाचूर हो गया और उसे ज्ञात हुआ कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। अपितु स्वयं भगवान हनुमान जी है जो भीम का घमंड समाप्त करने आए थे।

इसके बाद भीम हनुमान जी के चरणों मे पड़ और उनसे क्षमा मांगी।

दूसरी बार हनुमान जी अर्जुन के रथ पर लगे ध्वज पर विराजमान हुए और पूरे महाभारत युद्ध में उनके साथ रहे। महाभारत युद्ध के पश्चात जब महावीर हनुमान अपने असली स्वरूप में आए और वहाँ से चले गए तो वह रथ भी राख में बदल गया।

Hanuman ji in Mahabharat

जब अर्जुन ने श्री कृष्ण से इसके कारण के बारे में पूछा तो श्री कृष्ण ने बताया कि वो हनुमान जी ही थे जिनके कारण तुम्हारे रथ को युद्ध में कोई क्षति नहीं पहुंची। नहीं तो इतने विनाशक अस्त्रों के सामने उनका रथ कभी भी टिक नहीं सकता था।

बहुत कम लोग यह जानते हैं कि द्वापर युग में एक बार हनुमान जी बहुत क्रोधित हो गए थे। जिनके कारण भगवान श्री कृष्ण को हनुमान जी के क्रोध को शांत करने के लिए द्वापर युग में भगवान श्री राम का अवतार लेना पड़ा था।

इस तरह हनुमान जी ने महाभारत काल में भी अपनी उपस्थिती का प्रमाण दिया था।

इसके बाद कलयुग में भी हनुमान जी के दर्शन करने की बात सुनी जा सकती है। चीन, इंडोनेशिया, थायलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका में भी भिन्न-भिन्न नामों से हनुमान जी की कहानियाँ सुनने को मिल जाएगी। अफ्रीका से लेकर अमेरिका तक शक्तिशाली वानर के आज भी जीवित होने की बातें की जाती हैं।

17वीं सदी में तुलसीदास जी ने भी बताया था कि हनुमान जी ने ही उन्हें "रामचरितमानस"  लिखने के लिए प्रेरित किया। तुलसीदास जी को ही कलयुग में भगवान श्री राम, लक्ष्मण और हनुमान जी के प्रत्यक्ष दर्शन हुए थे। 

Hanuman ji and Tulsidas
 
उसके बाद भी कई साधू-संतों ने हनुमान जी से मिलने और उन्हें देखने का दावा किया।

यदि बात करें हनुमान जी के आज भी जीवित होने के सबूतों के बारे में तो आप गिन भी नहीं पाओगे।

श्रीलंका में एक कबीला है जिसका नाम है “मातंग कबीला”। इस कबीले के लोगों को किसी संत के कम नहीं माना जाता। क्योंकि उनकी मानसिक सहनशीलता और विलक्षण गुण उन्हें दूसरों से अलग करते हैं।

उनका कहना है कि हनुमान जी आज भी 41 वर्ष पश्चात उनसे मिलने तथा उनके साथ रहने आते हैं और उन्हें ज्ञान देते हैं। यही ज्ञान उनकी आत्मिक शांति को स्थायी बनाए रखता है।

भगवान हनुमान जी अपने अनुसार छोटा-बड़ा रूप धारण कर सकते हैं। बहुत से लोग इसे सच नहीं मानते, लेकिन श्रीलंका और दक्षिण-भारत में कई विशालकाय पैरों के निशान मिले है जिसे वैज्ञानिक भी सही मान चुके हैं। इन पैरों के निशान को हनुमान जी के पैर माना जाता है।

हम अपने ही धर्म में हनुमान जी के अस्तित्व को नकारते हैं। वहीं संसार के विभिन्न देशों में वानर देव की पूजा की जाती है। वहाँ की प्राचीन गाथाओं में भी वानर देव को अमर माना जाता है। हनुमान जी ने वरदान से अमरत्व हासिल किया था और वो कलयुग के अंत तक धरती लोक पर ही निवास करेंगे।

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